
डोनाल्ड ट्रंप की “Make America Great Again” पॉलिसी भले ही अमेरिका में वोट बटोर रही हो, लेकिन उसका साइड इफेक्ट भारत-चीन के रिश्तों पर भी दिखने लगा है। टैरिफ की मार से चीन को झटका, और अब वो भारत से रिश्ते सुधारने की कोशिश में जुटा है।
गुरुवार को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “भारत और चीन का साथ आना दोनों देशों के लिए फायदेमंद है। हम ग्लोबल साउथ के महत्वपूर्ण पार्टनर हैं।”
यानि अब “बॉर्डर पर तनाव कम, बॉर्डर ट्रेड ज़्यादा” वाली स्क्रिप्ट लिखी जा रही है।
पीएम मोदी की चीन यात्रा और SCO समिट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन जा सकते हैं।
इसी बीच, चीनी विदेश मंत्री वांग यी का भारत दौरा भी तय माना जा रहा है। चीन की ओर से साफ कहा गया है कि “हम भारत से अपने मतभेदों को शांतिपूर्वक सुलझाकर मिलकर आगे बढ़ना चाहते हैं।”
यानि अब चायनीज़ स्प्रिंग रोल के साथ बातचीत का नया दौर शुरू होने वाला है।
पुराने रास्ते, नए व्यापार
भारत के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर हामी भरते हुए कहा है कि लिपुलेख (उत्तराखंड), शिपकी ला (हिमाचल), और नाथू ला (सिक्किम) जैसे पुराने व्यापारिक मार्गों को फिर से खोला जा सकता है। इन रास्तों से पहले भी भारत-चीन के बीच ट्रेड होता रहा है — और अब इनकी रीस्टार्टिंग प्रक्रिया में दोनों देश सीरियस बातचीत कर रहे हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने के लिए चीन के साथ लगातार संवाद में हैं।”

#BoycottChina से #MyFriendChina की ओर?
कुछ साल पहले तक सोशल मीडिया पर #BoycottChina ट्रेंड करता था। लेकिन अब माहौल कुछ यूं है:
“जहां पहले TikTok बंद था, अब trade talk चालू है।
जहां पहले tension था, अब cooperation है।”
यानि अब लगता है कि मोबाइल से TikTok हटाकर दर्रों से व्यापार लाना ही “नया आत्मनिर्भर भारत” है!
रिश्तों में धीरे-धीरे बर्फ पिघलती दिख रही है। जहां ग्लोबल स्तर पर ट्रंप के टैरिफ ने नई डिप्लोमेसी को जन्म दिया है, वहीं भारत और चीन अब पुराने मतभेदों को साइड में रखकर आर्थिक साझेदारी की राह पर बढ़ते दिख रहे हैं।
शायद अब वक्त आ गया है कि “नकारात्मक राजनीति” छोड़कर “सकारात्मक व्यापार” की तरफ बढ़ा जाए।
सीतापुर में भाजपा फिसली, सपा ने मारी बाज़ी – आमिर की जीत से हड़कंप